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अमेरिका में दवाओं की कीमतें घटाने की ट्रंप की कोशिशों का इंडियन फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा असर

Published on 12/05/2025 06:00 PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दवाओं की कीमतों में कमी लाने के लिए जो कदम उठाए हैं, उनका भारत सहित दुनिया की बड़ी फार्मा कंपनियों पर असर पड़ेगा। इंडियन फार्मा कंपनियों को अमेरिका में दवाओं के बाजार में बड़ी हिस्सेदारी है। ट्रंप अमेरिका में दवाओं की कीमतें में 30-80 फीसदी तक कमी लाना चाहते हैं। उनका मानना है कि दूसरे देशों में दवाओं की कीमतें काफी कम हैं, जबकि अमेरिका में ज्यादा हैं। उनकी पॉलिसी का ज्यादा असर स्पेशियलिटी/पेटेंटेंड पोर्टफोलियो वाली फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा।

कई कंपनियां अमेरिकी बाजार से बाहर हो सकती हैं

ट्रंप की पॉलिसी का असर ग्लोबल फार्मा बिजनेस मॉडल पर पड़ सकता है। कई फार्मा कंपनियां अमरिकी बाजार से अपना बिजनेस समेट सकती हैं। फॉर्मा लॉबी अपना प्रॉफिट बचाने के लिए कानूनी रास्ता भी अपना सकती है। इंडिया की कई फार्मा कंपनियों की अमेरिकी बाजार में अच्छी पैठ है। उनके रेवेन्यू में अमेरिकी बाजार की 30-45 फीसदी तक हिस्सेदारी है। अमेरिकी फार्मा जेनरिक मार्केट काफी बड़ा है, लेकिन इसमें प्रतियोगिता काफी ज्यादा है।

अमेरिका और दूसरे बाजारों में दवाओं की कीमतों में फर्क

कोविड से पहले जेनरिक दवा बनाने वाली बड़ी फार्मा कंपनियों का एबिड्टा मार्जिन 19-22 फीसदी के बीच था। Mankind और Eris Life जैसी कंपनियों का एबिड्टा मार्जिन तो 30 फीसदी तक था। अब अमेरिका और भारतीय रिटेल मार्केट्स में जेनरिक दवाओं की कीमतों में काफी फर्क है। इसमें ज्योग्रॉफिक-स्पेसिफिक कॉस्ट अकाउंटिंग का बड़ा हाथ है। ट्रंप के 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' प्राइसिंग मॉडल का इस्तेमाल करने का असर भी इंडियन फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा। इसका मतलब है कि अमेरिका में किसी दवा का रिटेल प्राइस उतना ही होना चाहिए जितना उस दवा की कीमत दुनिया के दूसरे देश में होगी। उदाहरण के लिए अगर Cipla किसी दवा को इंडिया में एक्स कीमत पर बेचती है तो उस दवा को वह अमेरिका में ज्यादा कीमत पर नहीं बेच सकती।

ट्रंप की पॉलिसी का असर कंपनियों के रिटर्न रेशियो पर 

इस पॉलिसी की वजह से कुछ कंपनियां अमेरिकी बाजार से बाहर जाने का फैसला कर सकती हैं। इसकी वजह यह है कि ट्रंप की पॉलिसी का काफी असर रिटर्न रेशियो पर पड़ेगा। दवा की कीमतों पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर होने वाले खर्च का असर पड़ता है। इसलिए बड़ी फार्मा कंपनियां कॉस्ट बचाने के लिए CRO/CDMO कोलैबोरेशन कर सकती हैं। इसके अलावा इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी डोमेन में चीन पर निर्भरता घटाने की कोशिश से इंडिया को फायदा हो सकता है।

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इन कंपनियों के शेयरों पर नजर रखने की जरूरत

निवेशकों को Syngene, Sai Life, Omi Organics, Neulands Labs, Navin Fluorine जैसी फार्मा कंपनियों के कीमतों पर नजर रखनी चाहिए। 12 मई को निफ्टी फार्मा इंडेक्स में शुरुआती कारोबार में बड़ी गिरावट दिखी थी। लेकिन, थोड़ी देर बाद यह संभलने में कामयाब रहा। सन फार्मा, अजंता फार्मा, ग्लेनमार्क, डिवीज लैब के शेयरों में गिरावट देखने को मिली।

Tags: #share markets

First Published: May 12, 2025 5:51 PM

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