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AMC Stocks: SEBI की इस मंजूरी ने भरा जोश, HDFC AMC और Canara Robeco में आया 9% तक उछाल

Published on 18/12/2025 12:40 PM

AMC Stocks: मार्केट रेगुलेटर SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) ने म्यूचुअल फंड्स के फी स्ट्रक्चर में बदलावों को मंजूरी दे दी है। सेबी ने कॉस्ट ब्रेकअप के पारदर्शी खुलासे को प्रोत्साहित करने के लिए यह किया है। इसने एएमसी शेयरों में जोश भर दिया और ये 8.5% तक उछल गए। निफ्टी कैपिटल मार्केट्स इंडेक्स 2% से अधिक उछल पड़ा। निप्पन लाइफ एएमसी (Nippon Life AMC) के शेयर 6% और एचडीएफसी एएमसी (HDFC AMC) के शेयर 4.5% उछल पड़े। वहीं यूटीआई एएमसी (UTI AMC) के शेयर 4% और एबीएसएल एएमसी (ABSL AMC) 1.7% चढ़ गया। वहीं सेबी के बदलावों पर हाल ही में लिस्टेड केनरा रोबेको एएमसी (Canara Robeco AMC) के शेयर 8.5% उछल गए।

SEBI के किन बदलावों ने भरा AMC Stocks में जोश?

सेबी के बोर्ड ने ब्रोकर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स को दिए जाने वाले ब्रोकरेजेज की सीमा में बदलाव किया है। इसमें स्टैच्यूटरी लेवी को भी नहीं शामिल किया जाएगा। सेबी ने यह फैसला इसलिए किया है ताकि निवेशकों से रिसर्च से जुड़ी लागत को दो बार वसूलने पर रोक लग सके। कैश मार्केट लेन-देन के लिए ब्रोकरेज की सीमा को मौजूदा 12 बेसिस प्वाइंट से घटाकर 6 बीपीएस कर दिया गया है। पहले इसमें स्टैच्यूटरी लेवी भी शामिल थीं। वहीं डेरिवेटिव लेन-देन के लिए ब्रोकरेज कैप को पहले के 5 बीपीएस से घटाकर 2 बीपीएस कर दिया गया है। यह फैसला सेबी ने 17 दिसंबर को हुई बोर्ड की बैठक में लिया। सेबी ने अलाउंस पर 5 बीपीएस का अतिरिक्त खर्च भी हटा दिया है जो स्कीमों पर एग्जिट लोड के साथ वसूल किया जाता है।

सेबी के फैसले से क्यों दिखा एएमसी स्टॉक्स पर असर?

बाजार नियामक सेबी के फैसले से फंड मैनेजर के लिए स्टॉक्स के लेन-देन की औसत लागत मौजूदा लेवल से 10-15 बीपीएस घटकर 12 बीपीएस तक आने की उम्मीद है। लंबे समय से म्यूचुअल फंड के टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) को लेकर चर्चाएं हो रही थीं, उसे लेकर सेबी के निर्णायक फैसले ने फंड हाउसेज और ब्रोकरेजेज को काफी राहत दी है।

एक अहम बदलाव ये है कि टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) की जगह अब बेस एक्सपेंस रेश्यो (BER) लागू किया गया है। सेबी ने बीईआर से जीएसटी, स्टांप ड्यूटी, सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT), कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (CTT) और अन्य स्टैच्यूटरी चार्जेज को बाहर रखा है। इसके चलते अब बीईआर में मैनेजमेंट फीस, डिस्ट्रीब्यूशन ब्रोकरेजेज और आरटीए चार्जेज जैसे फंड-लेवल लागत शामिल होंगे और टैक्सेज का खुलासा अलग से किया जाएगा।

नए फ्रेमवर्क के तहत ₹500 करोड़ से कम के एसेट्स वाली ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीमों का अधिकतम एक्सपेंस रेश्यो 2.25% से 2.10% कर दिया गया है जबकि इसी कैटेगरी की डेट स्कीम्स के लिए इसे 2% से घटाकर 1.85% कर दिया गया है। ओवरऑल बात करें तो एक्टिव इक्विटी फंड्स का एक्सपेंस रेश्यो अब 0.95%-2.1% होगा तो फिक्स्ड इनकम फंड के लिए यह एएयूएम के हिसाब से 0.7%-1.85% के बीच होगा। ₹50 हजार करोड़ से अधिक एसेट मैनेज करने वाली इक्विटी स्कीमों के लिए यह लिमिट 0.95% और डेट स्कीमों के लिए 0.7% होगा।

क्या कहना है ब्रोकरेज फर्म का?

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म सिटी का कहना है कि सेबी के फैसले का बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों पर असर लगभग न्यूट्रल रहेगा जबकि हाई डिस्ट्रीब्यूटर पेआउट वाली मिड-स्केल फर्म के लिए यह थोड़ा पॉजिटिव होगा। सिटी का कहना है कि नुवामा (Nuvama) और 360 वन (360 One) जैसे वेल्थ मैनेजर्स पर इसका असर बहुत सीमित रहेगा और उनके कंसोलिडेटेड रेवेन्यू पर असर 1% से भी कम होगा। आज नुवामा के शेयर 4% और 360 वन के शेयर 1% ऊपर चढ़े।

सिटी का कहना है कि अगर इक्विटी टीईआर में कटौती को पास-थ्रू यानी आगे नहीं बढ़ाया गया तो केनरा रोबेको एएमसी को छोड़ बाकी लिस्टेड एएमसी की कोर कमाई पर 8-9% का असर पड़ेगा। हालांकि सिटी का यह भी कहना है कि 5 बीपीएस का असर पहले ही शेयर प्राइस में पहले ही शामिल हो चुका है क्योंकि अक्टूबर 2025 के डिस्कशन पेपर जारी होने के बाद से लिस्टेड एएमसी स्टॉक्स में 4-5% की गिरावट आ चुकी थी। सिटी के मुताबिक इससे संकेत मिलता है कि बाजार की आम धारणा (कंसेंसस) में कमाई के अनुमानों में लगभग 50% पास-थ्रू मान लिया गया है।

एक और ब्रोकरेज फर्म पीएल कैपिटल का कहना है कि मैनेजमेंट फीस पर जीएसटी से जुड़े टोटल एक्सपेंश रेश्यो (TER) में प्रस्तावित 15 बीपीएस की तुलना में 10 बीपीएस की कटौती टॉप के 6 एएमसी के लिए प्रॉफिटेबिलिटी के हिसाब से न्यूट्रल रह सकती है। वहीं छोटे एएमसी के लिए यह थोड़ी पॉजिटिव हो सकती है। ऐसे में पीएल कैपिटल का कहना है कि वह जिन एएमसी स्टॉक्स की कवरेज कर रही है, उनकी कोर कमाई में कोई बड़ा या महत्वपूर्ण बदलाव नहीं है।

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