Published on 03/05/2025 03:26 PM
मार्केट ब्रेड्थ में जोरदार सुधार से संकेत मिलता है कि भारतीय इक्विटी बाजारों को लेकर निवेशकों के सेंटीमेंट में सुधार हो रहा है। अप्रैल में, बीएसई में लिस्टेड सभी शेयरों का एडवांस-डिक्लाइन रेशियो (बढ़ने वाले शेयरों के मुकाबले गिरने वाले शेयर) औसतन 1.26 रहा जो जून 2024 के बाद का उच्चतम स्तर है। यह सेक्टरों में व्यापक आधार पर आए सुधार का संकेत है। यह लगातार दूसरा महीना है जब यह रेशियो एक से ऊपर रहा है।
अप्रैल में बेंचमार्क इंडेक्सों में तेज रिकवरी देखने को मिली है। इस अवधि में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में 3.5 फीसदी की बढ़त हुई है। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्सों में भी मजबूती देखने को मिली है। इनमें 3.2 फीसदी और 1.6 फीसदी की बढ़त हुई है। यह उछाल सितंबर 2024 के अंत में शुरू हुए एक लंबे करेक्शनके बाद आया है। इस करेक्शन के दौर में सेंसेक्स और निफ्टी में 14.7 फीसदी और 15.6 फीसदी की गिरावट आई थी। जबकि, मिड और स्मॉल-कैप इंडेक्सों में 21.8 फीसदी और 24.48 फीसदी की बड़ी गिरावट आई थी।
इंडिपेंडेंट रिसर्च एनलिस्ट दीपक जसानी का कहना है कि हाल की तेजी से पता चलता है कि छोटे-मझोले शेयरों का वैल्यूएशन काफी अच्छा हो गया है। वे अब निवेशकों को फिर से आकर्षित कर रहे हैं। ऐसा लगता है इनमें से कई शेयर अपने बॉटम पर पहुंच गए हैं और अर्निंग्स के अनुमानों की तुलना में उनकी मौजूदा कीमतें निवेशकों को अच्छी लग रही हैं।
मार्केट ब्रेड्थ में सुधार को विदेशी निवेशकों की नई खरीदारी से भी सपोर्ट मिला है। अक्टूबर 2024 और फरवरी 2025 के बीच लगातार बिकवाली के बाद विदेशी निवेशक मार्च और अप्रैल में नेट बॉयर रहे है। इन महीनों में इन्होंने भारतीय बाजार में 1,718 करोड़ रुपये और 10,559 करोड़ रुपये का निवेश किया है। घरेलू निवेशक लगातार बुलिश बने हुए हैं। उन्होंने 2025 में अब तक 2.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की खरीदारी की है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के नागराज शेट्टी का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का बाजार पर बहुत ज़्यादा असर पड़ रहा है,जिससे बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो दोनों देशों के बीच पहले हुए संघर्षों के दौरान भी (मई 1999 में कारगिल युद्ध, सितंबर 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और फरवरी 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक) बाजार में अचानक उतार-चढ़ाव देखने को मिला था और इन घटनाओं के बाद निफ्टी ने निचले स्तरों से जोरदार वापसी कीथी। ऐसे में यहां से आने वाली कोई भी कमजोरी या गिरावट पर खरीदारी का मौका हो सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि 24500-24600 के स्तर से ऊपर की कोई तेजी निफ्टी को 24800-25000 के स्तर की ओर ले जा सकती है। वहीं, 24500-24600 से नीचे की किसी भी कमजोरी में निफ्टी को शॉर्ट टर्म में 24000-23800 के स्तर के आसपास सपोर्ट मिल सकता है।
ग्लोबल मार्केट में मजबूती के बावजूद मामूली बढ़त के साथ हुई भारतीय बाजारों की वीकली क्लोजिंग, ये रही वजह
रेलिगेयर ब्रोकिंग के अजीत मिश्रा का कहना है कि निफ्टी वर्तमान में कंसोलीडेशन के फेज में है। इसको क्लोजिंग बेसिस पर 24,500 अंक के पास रेजिस्टेंस का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि,अलग-अलग सेक्टरों के भारी वेटेज वाले शेयरों में रोटेशनल खरीदारी से गिरावट को थामने में मदद मिल रही है। इसलिए, किसी भी शॉर्ट टर्म करेक्शन या कंसोलीडेशन बाजार के लिए हेल्थी माना जाना चाहिए। निवेशकों को सलाह है कि वे तुलनात्मक रूप से मजबूत क्वालिटी शेयरों पर फोकस करते हुए "गिरावट पर खरीदारी" की रणनीति अपनाएं।
राइट रिसर्च पीएमएस की फाउंडर और फंड मैनेजर सोनम श्रीवास्तव का कहना है कि घरेलू निवेशकों ने बाजार को स्थिर बनाए रखने में मदद की है। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए करेक्शन के चलते बाजार का वैल्यूएशन अच्छा हो गया है। इसके चलते समझदार निवेशक फंडामेंटली मजबूत शेयरों में फिर से निवेश करते दिख रहे हैं। सोनम का मानना है कि ग्लोबल ट्रेड टेंशन का असर सीमित रहेगा और इस मुद्दे पर चल रही बातचीत से जल्द ही कोई समाधान निकलेगा।
हालांकि मई और जून की शुरुआत में आने वाले कॉर्पोरेट नतीजों से स्टॉक-स्पेसिफिक एक्शन देखने को मिल सकता है। लेकिन विश्लेषकों को उम्मीद है कि मार्केट ब्रेड्थ पॉजिटिव बना रहेगा, हालांकि इसके अप्रैल के हाई से थोड़ा नीचे रहने की उम्मीद है।
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First Published: May 03, 2025 3:19 PM
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