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चीन ने रेयर अर्थ्स मैगनेट की सप्लाई नहीं बढ़ाई तो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का उत्पादन पड़ सकता है ठप

Published on 04/06/2025 04:53 PM

इंडिया में इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री की रफ्तार अचानक सुस्त पड़ सकती है। रेयर अर्थ्स मैगनेट की कमी इसकी वजह होगी। रेयर अर्थ्स मैगनेट्स ऐसे इलिमेंटट्स का समहू है, जिसका इस्तेमाल स्मार्टफोन और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स बनाने में होता है। इनके प्रोडक्शन का प्रोसेस काफी मुश्किल और खर्चिला है। खास बात यह है कि इनकी सबसे ज्यादा सप्लाई चीन करता है। चीन ने इसकी रेयर अर्थ्स मैगनेट्स की सप्लाई घटा दी है। बताया जाता है कि टैरिफ वॉर में अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए उसने ऐसा किया है। लेकिन, इसका असर इंडिया सहित दूसरे देशों पर भी पड़ रहा है।

बजाज ऑटो के बाद टीवीएस मोटर ने भी जताई चिंता

Bajaj Auto ने सबसे पहले रेयर अर्थ्स मैगनेट्स (Rear Earths Magnets) की सप्लाई को लेकर चिंता जताई थी। उसने कहा था कि अगर सप्लाई नहीं बढ़ी तो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के प्रोडक्शन को बड़ा झटका लग सकता है। अब TVS Motor ने भी चिंता जताई है। उसने कहा है कि अगर सप्लाई नहीं बढ़ती है तो अगले महीने तक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का उत्पादन पूरी तरह से ठप पड़ सकता है। इलेक्ट्रिक मोटर के काम करने के लिए ये अर्थ्स मैगनेट्स बहुत जरूरी हैं। 4 अप्रैल से ही मैगनेट्स के शिपमेंट चीन के बंदरगाहों पर अटके हुए हैं।

चीन के बंदरगारों पर 4 अप्रैल से अटके पड़े हैं शिपमेंट्स

ये शिपमेंट तभी इंडिया पहुंचेंगे जब इंडियन इलेक्ट्रिक व्हीकल्स कंपनियां रेयर अर्थ्स मैगनेट्स के इस्तेमाल के बारे में डेक्लरेशन देंगी। यह सर्टिफिकेशन प्रोसेस इंडियन अथॉरिटीज के जरिए पूरा होगा। उसके बाद चीन के दूतावास का फाइनल एप्रवूल जरूरी होगा। बताया जाता है कि अब तक इंडियन मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने 30 अप्लिकेशंस दिए हैं, लेकिन अब तक उन्हें मंजूरी नहीं मिली है। यह इंडिया में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स खासकर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स बनाने वाली कंपनियों के लिए खतरे की घंटी है।

इंडिया में EV इंडस्ट्री की रफ्तार को लग सकता है ब्रेक

एक्सिस सिक्योरिटीज में ऑटो एनालिस्ट श्रीधर कलानी ने कहा, "इंडियन ईवी ओईम के लिए बड़ा रिस्क पैदा हो गया है। FY25 में इंडिया में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की सेल्स 11 लाख यूनिट्स से ज्यादा रही। रेयर अर्थ्स मैगनेट का प्रदर्शन इंडिया में नाममात्र का होता है, जिससे इसकी सप्लाई से जुड़ी दिक्कतें बड़ी मुश्किल पैदा कर सकती हैं।" स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रेयर अर्थ्स मैगनेट्स के उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी करीब 90 फीसदी है। मलेशिया, वियतनाम और आस्ट्रेलिया में इसका उत्पादन तो होता है, लेकिन वह जरूरत के मुकाबले काफी कम है। दूसरा, इन देशों से इनका आयात करना काफी महंगा होगा।

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इलेक्ट्रिक टू-व्लीहर्स महंगे होने का भी डर

अगर चीन रेयर अर्थ्स मैगनेट्स की सप्लाई जल्द शुरू नहीं करता है तो ईवी कंपनियां दूसरे देशों से ज्यादा कीमत पर इनका आयात करने को मजबूर होंगी। फिर वे इसका बोझ ग्राहकों पर डालेंगी। इससे इंडिया में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कीमतें 8 फीसदी तक बढ़ सकती हैं। इसका अलावा इंडिया में कई कंपनियां इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मॉडल्स पेश करने वाली हैं। उनके प्लान पर भी खराब असर पड़ सकता है। कलानी ने कहा कि चीन अगर सप्लाई नहीं बढ़ता है कि ईवी कंपनियों का मार्जिन 50 से 100 बेसिस प्वाइंट्स तक घट सकता है।

Tags: #share markets

First Published: Jun 04, 2025 4:40 PM

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