Published on 17/05/2025 03:25 PM
Capex Data : बाजार की नजर जिस आंकड़े पर होती है वो है कैपेक्स। कैपेक्स वो जादूई नंबर है जो बाजार का मूड बना भी देता है बिगाड़ भी देता है। सेंटर, राज्य और प्राइवेट कैपेक्स की क्या है पूरी पिक्चर, कौन कैपेक्स में आगे है और कौन पिछड़ रहा है आइए इसको समझते हैं। वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2025 के बीच की सालाना कैपेक्स ग्रोथ पर नजर डालें तो इस अवधि में केंद्र सरकार के कैपेक्स में सालाना 24.3 फीसदी और प्राइवेट कंपनियों के कैपेक्स में सालाना 19.8 फसदी की ग्रोथ हुई। जबकि राज्य सरकारों के कैपेक्स में सालाना 11.9 फीसदी की बढ़त हुई।
प्राइवेट कैपेक्स की पिक्चर
प्राइवेट कैपेक्स की पिक्चर पर नजर डालें तो वित्त वर्ष 2021 में प्राइवेट सेक्टर का कैपेक्स 4.8 लाख करोड़ रुपए रहा। वहीं, वित्त वर्ष 2024 में ये आंकड़ा 8.4 लाख करोड़ रुपए और वित्त वर्ष 2025 में ये 9.95 लाख करोड़ रुपए पर रहा है। इस अवधि में इसमें 19.8 फीसदी की सालाना ग्रोथ देखने को मिली है। वित्त वर्ष 2025 में ऑयल एंड गैस सेक्टर में 2.8 लाख करोड़ रुपए कैपेक्स का अनुमान था। जबकि वास्तविक कैपेक्स 1.5 लाख करोड़ रुपए पर रहा जो अनुमान का करीब 40 फीसदी है।
वित्त वर्ष 2025 में पावर सेक्टर में 1.8 लाख करोड़ रुपए कैपेक्स का अनुमान था। जबकि वास्तविक कैपेक्स 0.7 लाख करोड़ रुपए पर रहा जो अनुमान का करीब 38 फीसदी है। वित्त वर्ष 2025 में कमोडिटीज में 1.6 लाख करोड़ रुपए कैपेक्स का अनुमान था। जबकि वास्तविक कैपेक्स 0.8 लाख करोड़ रुपए पर रहा जो अनुमान का करीब 46 फीसदी है। वित्त वर्ष 2025 में ऑटो सेक्टर में 0.8 लाख करोड़ रुपए कैपेक्स का अनुमान था। जबकि वास्तविक कैपेक्स 0.3 लाख करोड़ रुपए पर रहा जो अनुमान का करीब 36 फीसदी है।
वित्त वर्ष 2025 में टेलिकॉम सेक्टर में 0.6 लाख करोड़ रुपए कैपेक्स का अनुमान था। जबकि वास्तविक कैपेक्स 0.3 लाख करोड़ रुपए पर रहा जो अनुमान का करीब 49 फीसदी है। वित्त वर्ष 2025 में सीमेंट सेक्टर में 0.4 लाख करोड़ रुपए कैपेक्स का अनुमान था। जबकि वास्तविक कैपेक्स 0.2 लाख करोड़ रुपए पर रहा जो अनुमान का करीब 45 फीसदी है। वित्त वर्ष 2025 में हेल्थकेयर सेक्टर में 0.3 लाख करोड़ रुपए कैपेक्स का अनुमान था। जबकि वास्तविक कैपेक्स 0.1 लाख करोड़ रुपए पर रहा जो अनुमान का करीब 42 फीसदी है। वित्त वर्ष 2025 में इंफ्रा सेक्टर में 0.2 लाख करोड़ रुपए कैपेक्स का अनुमान था। जबकि वास्तविक कैपेक्स 0.1 लाख करोड़ रुपए पर रहा जो अनुमान का करीब 42 फीसदी है।
प्राइवेट कैपेक्स सबसे ज्यादा कहां हुआ है इस पर नजर डालें तो ऑयल एंड गैस, पावर, ऑटो मोबाइल और कमोडिटीज इस लिस्ट में टॉप पर रहे हैं। प्राइवेट कैपेक्स की फंडिंग अधिकांश मामलों में खुद के कैश फ्लो से हुई है। कंपनियां कर्ज लेने से बचती दिखी हैं।
केंद्र का बढ़ता कैपेक्स
केंद्र सरकार के कैपेक्स में बढ़त देखने को मिली है। वित्तवर्ष 2021 में केंद्र का कैपेक्स 4.26 लाख करोड़ रुपए पर था। वित्त वर्ष 2025 में ये आंकड़ा 10.2 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। इस अवधि में कैपेक्स की सालाना ग्रोथ रेट 24.3 फीसदी रही है। केंद्र ने सबसे ज्यादा खर्चा रोड ट्रांसपोर्ट, रेलवे और डिफेंस में किया है।
कैपेक्स के मामले में पिछ़ड़े राज्य
कैपेक्स के मामले में राज्य पिछ़ड़ते नजर आए हैं। वित्तवर्ष 2021 में राज्यों का कैपेक्स 4.2 लाख करोड़ रुपए पर था। वित्त वर्ष 2025 में ये आंकड़ा 6.1 लाख करोड़ रुपए पर रहा। इस अवधि में राज्यों के कैपेक्स की सालाना ग्रोथ रेट 11.9 फीसदी रही है।
किन राज्यों में कैपेक्स सबसे ज्यादा
इन आंकड़ों पर नजर डालें तो UP, महाराष्ट्र, MP, तमिलनाडु, गुजरात और ओडिशा में सबसे ज्यादा कैपेंक्स हुआ है। कैपेक्स का सबसे ज्यादा फायदा L&T, कमिंस इंडिया, सीमेंस,मारुति, M&M, अपोलो हॉस्पिटल, JSPL, NTPC, पावर ग्रिड और SRF जैसी कपनियों को मिस सकता है।
Tags: #share markets
First Published: May 17, 2025 3:25 PM
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