Published on 15/05/2025 02:01 PM
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को टैरिफ के लिहाज से 'लिबरेशन डे' घोषित किया था। तब से ग्लोबल मार्केट्स में काफी उतारचढ़ाव देखने को मिला है। हालांकि, अप्रैल के अंत से बाजार पर दबाव घटने लगा। पिछले हफ्ते अमेरिका और चीन में टैरिफ को लेकर डील का ऐलान के बाद दुनियाभर के बाजारों ने राहत की सांस ली। इस खबर से 5 मई को एसएंडपी 500 में 3.3 फीसदी उछाल आया। नैस्डेक तो 4.4 फीसदी तक चढ़ा। लेकिन, यह थोड़े समय की राहत है। अभी लंबी अवधि के लिहाज से मार्केट की तस्वीर साफ नहीं है।
अमेरिका और चीन Tariff घटाने को तैयार हो गए हैं। लेकिन, यह तय है कि अब दोनों देश एक-दूसरे के इंपोर्ट्स पर टैरिफ लगाएंगे। बताया जाता है कि अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर बातचीत जारी रहेगी। अमेरिका ने अपने हितों को ध्यान में रख चीन के साथ समझौता किया है। ट्रंप को बताया गया था कि अगर ट्रेड वॉर जारी रहता है तो अमेरिका में दुकानों में कई चीजों की कमी पैदा हो सकती है।
इस बीच, अमेरिकी इकोनॉमी के बेहतर डेटा को देखते हुए फेडरल रिजर्व ने इंटरेस्ट रेट में कमी नहीं की है। अमेरिकी लेबर मार्केट स्ट्रॉन्ग बना हुआ है। बेरोजगारी दर 4.2 फीसदी के निचले स्तर पर है। ऐसे में इस बात की उम्मीद कम है कि आगे इंटरेस्ट रेट में कमी होगी। फेडरल रिजर्व इंटरेस्ट रेट में कमी करने से पहले इनफ्लेशन में और नरमी आने का इंतजार करेगा। हालांकि, फेडरल रिजर्व पर इंटरेस्ट रेट में कमी करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
उपर्युक्त स्थितियों को ध्यान में रखने पर कई तरह की तस्वीर स्टॉक मार्केट्स में आने वाले दिनों में उभर सकती है। आइए इनमें कुछ खास तस्वीरों को देखते हैं।
1. टैरिफ को लेकर बातचीत के बीच बेस टैरिफ लागू रहेगा
यह अभी की स्थिति है। कई देशों के साथ अमेरिका की टैरिफ को लेकर बातचीत चल रही है। यूके के साथ अमेरिका ने हाल में ट्रेड डील का ऐलान किया है। इससे यह संकेत मिला है कि अगर डील अच्छी हुई तो भी कम से कम 10 फीसदी टैरिफ लागू होगा। इस टैरिफ का बोझ आखिरकार ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा। ऐसी स्थिति में अर्निंग्स में सुस्ती दिख सकती है। लोग खर्च घटाना शुरू करेंगे। इससे इनफ्लेशन बढ़ने का रिस्क बढ़ जाएगा। इससे मार्केट में धीरे-धीरे गिरावट देखने को मिलेगी।
2. अमेरिका-चीन के बीच बातचीत डील के बगैर खत्म हो जाएगी
अगर अमेरिका और चीन के बीच लंबी अवधि की डील नहीं होती है तो बाजार पर बड़ा दबाव दिख सकती है। इसका असर इनवेस्टर्स सेंटिमेंट पर भी दिखेगा। ऐसी स्थिति में अमेरिका में मंदी का डर बढ़ जाएगा। चीन में भी ग्रोथ सुस्त पड़ सकती है। इससे मार्केट में गिरावट का माहौल बना रहेगा।
3. ट्रंप सेक्टर के हिसाब से अलग-अलग टैरिफ लगा सकते हैं
ट्रंप ने कुछ सेक्टर पर अलग-अलग रेट वाला टैरिफ लगाने के संकेत दिए हैं। उदाहरण के लिए स्टील और एल्युमीनियम के इंपोर्ट पर टैरिफ 20 फीसदी होगा। विदेश में बनी फिल्मों पर 100 फीसदी टैरिफ होगा। फेंटनील मसलों से जुड़े चीन के उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगेगा। अगर ऐसी स्थिति बनती है तो मार्केट के सूचकांक सीमित दायरे में रह सकते हैं।
4. अमेरिकी इकोनॉमी में सुस्ती
अगर अमेरिकी इकोनॉमी में मंदी आती है तो अर्निंग्स ग्रोथ घटेगी। लेबर और हाउसिंग मार्केट पर दबाव देखने को मिलेगा। इससे मार्केट में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। इससे कुछ बड़ी दिक्कतें शुरू हो सकती हैं। कंज्यूमर क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप बढ़ सकता है। ऐसे में सरकार और फेडरल रिजर्व दोनों को हस्तक्षेप करने पर मजबूर होना पड़ सकता है।
5. कंज्यूमर सेंटिमेंट बढ़ाने के लिए टैक्स में कमी
अगर अमेरिकी संसद कंज्यूमर सेंटिमेंट बढ़ाने के लिए टैक्स में कमी करने का फैसला लेती है तो इससे कंज्यूमर कॉन्फिडेंस बढ़ेगा। स्टॉक मार्केट्स में भी इससे तेजी देखने को मिल सकती है। हालांकि, टैक्स में कमी से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर मिलने वाली इनसेंटिव खत्म कर सकती है।
6. जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ सकता है
जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ा तो इसका असर कई देशों की इकोनॉमी पर पड़ेगा। खासकर एनर्जी और कमोडिटी मार्केट्स पर इसका ज्यादा असर दिखेगा। ऐसे में घरेलू शेयर बाजारों में सीमित दायरे में उतारचढ़ाव दिख सकता है। ऐसे में लगता है कि मार्केट में गिरावट का रिस्क ज्यादा है।
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इसलिए निवेशकों को अभी मार्केट में सावधानी बरतने की सलाह है। उन्हें अपने पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन पर फोकस बनाए रखना होगा। इससे उन्हें उतारचढ़ाव की स्थिति में लॉस से खुद को बचाने में मदद मिलेगी।
प्रतीक चतुर्वेदी
(लेखक के विचार उनके अपने विचार हैं। इसका इस पब्लिकेशन से किसी तरह का संबंध नहीं है)
Tags: #share markets
First Published: May 15, 2025 1:47 PM
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