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SEBI: ईटीएफ की नेट एसेट वैल्यू तय करने का तरीका बदल सकता है, जानिए क्या है SEBI का प्लान

Published on 25/08/2025 05:07 PM

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) तय करने का तरीका बदल सकता है। सेबी इस बारे में विचार कर रहा है। रेगुलेटर ईटीएफ की एनएवी रियल-टाइम मार्केट के मुताबिक चाहता है। इसके लिए ईटीएफ के बेस प्राइस और प्राइस बैंड तय करने के तरीके को बदला जा सकता है। इस मामले से जुड़े लोगों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर यह जानकारी दी।

म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के सूत्रों ने बताया कि अभी टी-2-डे नेट एसेट वैल्यू (NAV) तरीके का इस्तेमाल होता है। इसकी जगह T-1-डे एनएवी (पिछले दिन) का इस्तेमाल शुरू हो सकता है। सेबी इस बदलाव के बारे में सोच रहा है। अभी जो तरीका इस्तेमाल होता है, उसमें ईटीएफ की असल एनएवी और इस्तेमाल किए गए प्राइस बैंड में एक दिन की देर (lag) होती है। इससे स्टॉक स्प्लिट या डिविडेंड्स जैसे कंपनियों के फैसले की स्थिति में मानवीय हस्तक्षेप की जरूरत पड़ती है। इससे गलती होने या अपडेट्स मिस होने का रिस्क बढ़ जाता है।

बेस प्राइस में बदलाव: सेबी बेस प्राइस में बदलाव कर सकता है। रेगुलेटर ने इस बारे में स्टॉक एक्सचेंजों और म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री से बातचीत की है। वह अब बेस प्राइस के कैलकुलेशन और प्राइस बैंड में बदलाव के बारे में सोच रहा है। बेस प्राइस कैलकुलेशन के मामले में सेबी का यह मानना है कि T-2-day NAV के इस्तेमाल की जगह बेस प्राइस पिछले दिन की एनएवी पर आधारित होना चाहिए। इसकी वजह यह है कि NAV रात 11 बजे तक पब्लिश हो जाती है, जो अगले दिन मार्केट खुलने के मुकाबले काफी पहले है।

डायनेमिक प्राइस बैंड: रेगुलेटर प्राइस बैंड के तरीके में भी बदलाव करने के बारे में सोच रहा है। वह प्राइस बैंड में 20 फीसदी प्लस या माइनस के मौजूदा तरीके को बदल सकता है। इसकी जगह ज्यादा कैलिबेरेटेड लिमिट और डायनेमिक फ्लेक्सिंग सिस्टम को लागू किया जा सकता है।

इक्विटी एंड इंडेक्स ईटीएफ: 10 फीसदी प्लस और माइनस के शुरुआती प्राइस बैंड का प्रस्ताव है, जिसे दिन के दौरान बढ़ाकर 20 फीसदी प्लस या माइनक किया जा सकता है। यह फ्लेक्सिंग 15 मिनट के कूलिंग ऑफ पीरियड के बाद होगा, जो अगर ट्रेडिंग सेशन के अंतिम 30 मिनट के अंदर लिया जाता है तो सिर्फ 5 मिनट होगा। एक सेशन में मैक्सिमम 2 फ्लेक्सिंग इवेंट्स पर विचार हो रहा है।

कमोडिटी ईटीएफ: प्लस और माइनस 6 फीसदी के शुरुआती बैंड का प्रस्ताव है। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार की चाल के हिसाब से जरूरी लगता है तो कूलिंग ऑफ पीरियड के बाद 3 फीसदी की रियायत दी जा सकती है, जिसके लिए टोटल लिमिट 20 फीसदी प्लस आर माइनस की होगी।

लिक्विड और ओवरनाइट ईटीएफ: कम वोलैटिलिटी को ध्यान में रख 5 फीसदी प्लस और माइनस के फिक्स्ड प्राइस बैंड पर विचार हो रहा है।

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अगर इस बदलाव को लागू किया जाता है तो ईटीएफ में ट्रेडिंग का रिवाइज्ड सिस्टम रियल टाइम बाजार की स्थितियों के मुताबिक होगा। इससे प्राइसिंग एरर का रिस्क घटेगा। ईटीए कंपनी के शेयरों के जैसा होता है। इसकी ट्रेडिंग एक्सचेंजों पर होती है। अभी उनके बेस प्राइस के आधार पर 20 फीसदी प्लस और माइनस के फिक्स्ड प्राइस बैंड की इजाजत है। यह बेस प्राइस T-2-डे की क्लोजिंग एनएवी से आता है।Tags: #share marketsFirst Published: Aug 25, 2025 4:51 PMहिंदी में शेयर बाजार,  स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।